बिहार में 2016 में गठित त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाएं और ग्राम कचहरी 15 जून के बाद भंग हो जाएगी। बिहार सरकार के पंचायती राज मंत्री राकेश कुमार उर्फ सम्राट चौधरी ने बताया कि इस स्थिति में निर्णय लिया गया है कि त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाएं और ग्राम कचहरी के परामर्श समिति के अध्यक्ष वहां के मुखिया, सरपंच, प्रमुख एवं जिला परिषद अध्यक्ष होंगे।
राज्य में वर्ष 2016 में गठित त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाएं और ग्राम कचहरियां 15 जून के बाद भंग हो जाएगी। पंचायती राज मंत्री माननीय सम्राट चौधरी ने बताया कि इसके बाद भी पंचायत और ग्राम कचहरी के निर्वाचित प्रतिनिधि पूर्व की तरह काम करेंगे पर इनका पदनाम बदल जाएगा। 16 जून से ये सभी प्रतिनिधि बतौर परामर्शी समिति अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सदस्य के रूप में काम करेंगे। इसको लेकर पंचायती राज विभाग ने परामर्शी समिति के गठन का प्रस्ताव तैयार कर लिया है।
जाने कैसा होगा परामर्श समिति
मंत्री ने यह भी बताया कि 16 जून से मुखिया संबंधित ग्राम पंचायत की परामर्शी समिति के अध्यक्ष कहलाएंगे। उप- मुखिया उपाध्याय एवं ग्राम के वार्ड सदस्य, सदस्य कहलाएंगे। सरपंच संबंधित ग्राम कचहरी की परामर्शी समिति के अध्यक्ष होंगे। उप—सरपंच उपाध्यक्ष एवं पंच इसके सदस्य कहलाएंगे। पंचायत समिति प्रमुख, संबंधित पंचायत समिति की परामर्शी समिति के अध्यक्ष कहलाएंगे। इसके अलावा उप-प्रमुख उपाध्यक्ष एवं पंचायत समिति सदस्य, सदस्य होंगे। वहीं पंचायत समिति के सभी कार्यक्षेत्र के विधानसभा, विधान परिषद, लोकसभा एवं राज्यसभा के निर्वाचित सदस्य भी समिति के सदस्य होंगे। उन्होंने कहा कि समिति के कार्यक्षेत्र के सभी ग्राम पंचायतों के परामर्शी के अध्यक्ष भी इसके सदस्य होंगे। जिला परिषद अध्यक्ष, संबंधित जिला परिषद के परामर्शी समिति के अध्यक्ष हो जाएंगे। वहीं जिप उपाध्यक्ष एवं जिला परिषद का सदस्य, सदस्य कहलाएंगे। साथ ही जिला परिषद के कार्यक्षेत्र के सभी पंचायत समिति के परामर्शी समिति के अध्यक्ष भी इसके सदस्य होंगे! कार्यपालक पदाधिकारी की भूमिका प्रखंड विकास पदाधिकारी की होंगे। मंत्री ने जानकारी देते हुए बताया कि इस दौरान निर्वाचित पंचायत प्रतिनिधियों के वेतन एवं भत्ता भी मिलता रहेगा। यह व्यवस्था आगामी चुनाव के बाद त्रिस्तरीय पंचायत के गठन तक जारी रहेगी।