इस समय आधा बिहार बाढ़ की लपेटे में है। पानी के प्रकोप ने लोगों का जीना दुस्वार कर रखा है। इससे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का गृह जिला नालंदा भी अछूता नहीं है। पिछले दिनों लगातार हुई बारिश से रहुई प्रखंड के मथुरापुर गांव के पहियारा खन्धे के पास पंचाने नदी के बांध टूटने की वजह से करीब आधा दर्जन गांव बाढ़ की चपेट में है। बता दें कि रविवार की रात उक्त नदी का तटबंध करीब 100 फीट टूट गया था। तबाही का मंजर का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बसाक सैदी गांव सहित अन्य गांवों में पानी प्रवेश कर चुका है। इन जगहों के कुछ लोग अपने घरों के छतों पर आशियाना बनाए हुए हैं। वहीं, कुछ लोग बगल के स्कूल में तो कई लोग दूसरे की घरों में शरण लिए हुए है। इस संबंध में बाढ़ पीड़ित सैदी गांव निवासी भूषण मांझी, उपेन्द्र मांझी, बीरबल मांझी, राजो मांझी, सुधीर बिंद अन्य लोगों ने बताया कि घरों में पानी जमा होने की वजह से अनाज भी खराब हो चुका है। गांव के गलियों में पानी का मंजर यह कि छोटे-छोटे बच्चे को घर मे बंद कर रखना पड़ रहा है। लोगों का आरोप है कि उक्त नदी के बांध प्रत्येक वर्ष टूटता है और लोगों को ऐसी ही मुश्किलों का सामना करने को मजबूर होना पड़ता है। बावजूद इसके कोई ठोस उपाय नहीं किया जा रहा है। बाढ़ पीड़ितों ने कहा कि जब बिहार के मुखिया के ही गृह जिले का यह हाल है तो अन्य जगहों की हालात सोच से परे है।
अधिकारी देते हैं आश्वासन, लेकिन हकीकत में कुछ कार्य नहीं
बाढ़ आने के बाद इन जगहों में पहुंचे अधिकारी लोगों को ठोस उपाय करने का आश्वासन देते देते तो हैं लेकिन ये लोग इसी तरह बाढ़ में चार महीने गुजार रहे हैं। ग्रामीणों ने बताया कि हर वर्ष प्रशासन की नाकामी का दंश सैदी गांव के लोगों को झेलना पड़ता है। इस बावत मई फरीदा पंचायत के मुखिया अरुण कुमार ने बताया कि जिला प्रशासन से प्रभावित लोगों को आने जाने के लिये नाव की व्यवस्था करनी चाहिए थी। समय रहते जिला प्रशासन के द्वारा अगर तटबंध की मरम्मत कार्य किया जाता तो ग्रामीणों को परेशानी नहीं झेलनी पड़ती।