खगड़िया: अपनी कुर्सी बचाने के लिए नेता दल बदल रहे हैं। सत्ता सुख की प्राप्ति के लिए लोकतंत्र का गला घोटना नेताओं के लिए आम बात बन चुका है। उक्त बातें जन अधिकार युवा परिषद के जिलाध्यक्ष अभय कुमार गुड्डू ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर महागठबंधन की सरकार बनने पर प्रतिक्रिया दिया। उन्होंने कहा कि बिहार में जाति-धर्म की आग लगाकर कई राजनितिक दल अपनी अपनी कुर्सी बचाने का काम किया है। 2015 में भी नीतीश कुमार के नेतृत्व में महागठबंधन की सरकार बना था। पुन: 2017 में नीतीश कुमार महागठबंधन को छोड़कर एनडीए के साथ सरकार बनाया। सबसे बड़ा सवाल है कि इस दल बदल से नेताओं की सरकार तो बनते बदलते रहता है लेकिन इससे बिहार को क्या मिला? बिहार के फैक्ट्री बंद है। रोजगार का कोई उपाय नहीं है। बिहार के लोग रोजगार के लिए दूसरे राज्यों में जाकर दर दर की ठोकरें खा रहे हैं। महंगाई चरम सीमा पर है। किसान के खाद-बीज से लेकर बच्चों के स्लेट काँपी-किताब पेंसिल रबर तक महंगा हो चुका है। किसान के अनाज का उचित मूल्य नहीं मिल पाता है। लंबे समय तक नीतीश कुमार केंद्र सरकार के साझेदार बने रहे। फिर भी बिहार के लिए कुछ नहीं कर पाए तो अब बिहार को क्या मिलेगा। जिलाध्यक्ष ने स्पष्ट कहा कि नेता सिर्फ घोषणा कर के ताली बजबाते हैं। कुर्सी पाते हीं सत्ता के नशा में इस कदर डूब जाते हैं कि उन्हें बिहार के लोगों से कोई लेना-देना हीं नहीं है। बिहार के सभी विभाग में हजारों पद वर्षों से रिक्त पड़ा है। दस स्टाफ के जगह एक स्टाफ से जानवर से भी बदतर तरीके से काम लिया जा रहा है। श्री गुड्डू ने कहा कि बिहार की जनता को सरकारी कार्यालय में बह रही भ्रष्टाचार की गंगोत्री, सातवें आसमान पर पहुंच चुकी महंगाई और दिन दहाड़े हो रहे अपराध से मुक्ति चाहिए। बिहार की जनता को नीतीश कुमार के सरकार में वर्षों से कायम अफसरशाही से निजात चाहिए। बिहार के युवाओं को रोजगार चाहिए न कि झूठा आश्वासन। इस दौरान युवा शक्ति के जिला सचिव अजीत कुमार पप्पू, कोषाध्यक्ष नीरज कुमार यादव, धर्मेंद्र पौद्दार उपस्थित थे।