जिस पंचायत को नगर निकाय में सम्मलित किया गया है उनके प्रतिनिधि अब पदधारक नहीं हैं। ऐसे प्रतिनिधि अब उक्त पंचायत के परामर्शी समिति में कोई स्थान नहीं पाएंगे। उक्त जानकारी प्रदेश भाजपा के वरिष्ठ नेता सह बिहार सरकार के पंचायती राज मंत्री राकेश कुमार उर्फ सम्राट चौधरी ने दी है। उन्होंने साफ-साफ लफ्जों में बताया कि ऐसे पंचायत को जिस दिन से नगर निकाय में सम्मलित करने की अधिसूचना जारी हुई थी, उसी दिन से वहां के पंचायत प्रतिनिधि खुद ब खुद पदमुक्त हो चुके हैं।
100 से अधिक ग्राम पंचायत हुए हैं नगर निकाय में सम्मलित
बता दें कि बिहार सरकार ने राज्य में शहरीकरण को बढ़ावा देने के लिए 117 नए नगर निकायों के गठन का फैसला किया था। इनमें से 100 से अधिक पंचायतों को नगर निकाय में सम्मलित किया जा चुका है। इसके अलावा उच्चीकृत कर नगर पंचायत से परिषद और परिषद से नगर निगम बनाए गए निकायों की भी अधिसूचना जारी कर दी गई है। शहरों को ग्रोथ इंजन यानि विकास का वाहक माना जाता है। नए शहरी निकाय बनने के बाद राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में विकास की गति और तेज होगी।
सभी पंचायत प्रतिनिधि हो चुके हैं पदमुक्त
सूबे में जिन ग्राम पंचायत को पूर्ण रूप से नगर निकाय में सम्मिलित कर लिए गया है उस ग्राम पंचायत के मुखिया एवं सभी ग्राम पंचायत सदस्य (वार्ड सदस्य) अपने पद से उसी तिथि से मुक्त हो गए। अगर ग्राम पंचायत के कुछ वार्ड ही नगर निकाय में सम्मिलित किए गए हैं तो उस वार्ड का प्रतिनिधित्व कर रहे वार्ड सदस्य अपने पद से मुक्त हो गए। यही स्थिति ग्राम कचहरी, पंचायत समिति और जिला परिषद के सम्बंध में भी लागू होगा। वहीं परामर्शी समिति में वैसे क्षेत्रो के पंचायत प्रतिनिधि सम्मिलित नहीं किये जायेंगे जो क्षेत्र पूर्ण अथवा अपूर्ण नगर निकाय में सम्मिलित कर लिये गए हैं।