अपना बिहारबड़ी खबरराजनीति

मैं शेर का बेटा हूं, हार मानूंगा नहीं ! मैं बीमार था तो चाचा ने पीठ पीछे खंजर मारा, जंग अभी जारी है : चिराग

1 Mins read

आखिर चिराग पासवान ने अपनी चुप्पी तोड़ते हुए अपने सांसद चाचा पशुपति कुमार पारस पर कई हमले किये। चिराग ने कहा कि वह बीमार थे तो उनके चाचा ने इसका फायदा उठाकर उनके खिलाफ षडयंत्र कर दिया। उन्होंने कहा कि उनके पीठ में खंजर मारा गया है। लेकिन वे शेर के बेटे हैं। इतनी जलदी हार नहीं मानेंगे। जंग अभी जारी है। बुधवार को पटना में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर चिराग पासवान ने नीतीश कुमार और अपने चाचा पशुपति पारस पर कई आरोप लगाए हैं।

नीतीश पर लगाया पार्टी तोड़ने का आरोप

लगाचार चार पांच दिनों से एलजेपी में टूट की घटना के बाद जब चिराग पासवान मीडिया से बात करने पहुंचे तो पूरे रंग में दिखे। अपने चाचा पशुपति कुमार पारस पर सीधा हमला करते हुए उन्होंने पार्टी में टूट का जिम्मा जेडीयू पार्टी एवं नीतीश कुमार को जिम्मेवार ठहराया। उन्होंने कहा कि मुझे याद है जब पापा ICU में थे तब भी उन्होंने पार्टी के कुछ नेताओं से बातचीत में कहा था कि मीडिया में कुछ लोग इस तरह की भ्रामक खबरें आ रही हैं कि पार्टी टूट रही है। उन्होंने चाचा को भी इस संदर्भ में कहा था।’

नीतीश के सामने नहीं होउंगा नत्मस्तक

चिराग पासवान ने प्रेस वार्ता के दौरान अपनी सभी बातों को मीडिया के सामने रखा। उन्होंने कहा मेरे चाचा सहित जो भी सांसद इस षडयंत्र में शामिल हैं सभी रणछोड़ हैं।  मैं इस बात को स्वीकार करता हूं कि अगर बीजेपी+जेडीयू+एलजेपी मिलकर बिहार चुनाव में उतरती तो लोकसभा चुनाव की तरह एकतरफा परिणाम आते। लेकिन उस परिणाम के लिए मुझे नीतीश कुमार के सामने नत्मस्तक होना पड़ता। इसलिये मैं पहले जो कह चुका हूं वह अभी भी कहूंगा कि मेरे लिए बिहार फर्स्ट और बिहार फर्स्ट है।

चुनाव प्रचार से चाचा भागे- चिराग
चिराग ने कहा कि मैंने बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट विजन डॉक्यूमेंट बिहार के हर जिले से सुझाव लेकर तैयार किया था। उसे स्वीकारने से इनकार कर दिया गया। किसी भी गठबंधन में इस तरह से काम नहीं होता है। कॉमन मिनिमम प्रोग्राम से ही सरकारें बनती और चलती हैं। मुझे 7 निश्चय पर भरोसा नहीं है। मैंने पार्टी के समर्थन से यह निर्णय लिया था। मेरे चाचा सहित जिन लोगों को संघर्ष की राजनीति नहीं करनी थी उन लोगों ने उस दौरान भी इसका विरोध किया था। मेरे चाचा ने चुनाव प्रचार में भी कोई भूमिका नहीं निभाई।’ ‘मेरी पार्टी के कई सांसद अपने परिवार वालों को चुनाव जिताने में लगे थे। जिसमें वीणा देवी अपनी बेटी और महबूब अली कैसर के बेटे दूसरे गठबंधन से चुनाव में उतरे थे। जिस तरह से पूरे प्रदेश पार्टी के नेताओं की भूमिका होनी चाहिए थी, वैसी नहीं थी। इसलिए पूरी संभावना थी कि आज नहीं तो कल पार्टी में ये सवाल उठ सकते हैं। जब चुनाव समाप्त हुए तो कोरोना के चलते हमने कुछ दिनों के लिए तमाम राजनीतिक गतिविधियों पर रोक लगा दी।

मेरी बीमारी के दौरान चाचा ने रची साजिश- चिराग
चिराग ने कहा कि जब मैं बीमार था तभी मेरी पीठ पीछे पूरा षडयंत्र रचा गया। इस बात का मुझे दुख है। मैंने निरंतर प्रयास की कि मैं अपने चाचा से बात करूं। मुझे होली के दिन भी पापा के नहीं होने के चलते अकेलेपन का अहसास हुआ। फिर मैंने चाचा को पत्र भी लिखा। लेकिन संवादहीनता बना रहा। मैंने चाचा से बात कर पार्टी और परिवार को बचाने का प्रयास किया। मेरी मां ने भी बात करने की कोशिश की, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। मैंने दो दिन पहले भी उनके घर जाकर बात करने की कोशिश की। इसके बाद मैंने कल पार्टी की मीटिंग बुलाई और अनुशासन बनाए रखने के लिए कुछ लोगों को निलंबित किया। मैंने पार्टी के संविधान के तहत कार्रवाई की।’

 अभी भी LJP का अध्यक्ष- चिराग
‘अगर मेरे चाचा मुझसे बोलते कि उन्हें लोकसभा में नेता बनना है तो मैं उन्हें खुशी-खुशी बना देता। मैं चाहता हूं कि वह लोकसभा में पार्टी का पक्ष पापा की तरह मजबूती से रखें। लोकसभा में पार्टी का नेता कौन होगा यह चुनने का निर्णय पार्टी अध्यक्ष के पास है, यह सांसद के पास नहीं है। मैं घरेलू बातें सार्वजनिक करने में यकीन नहीं करता हूं।

मैं इन सारी बातों को बंद कमरे में सुलझाना चाहता था, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। अब हमें कानूनी लड़ाई भी लड़नी पड़ सकती है, जिसके लिए हम तैयार हैं। मैंने अपनी तरफ से परिवार और पार्टी दोनों को बचाने की भरसक कोशिश की, लेकिन चाचा की संवादहीनता के चलते ऐसा नहीं हो पाया।’

Install App