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बिहार के स्टांप विक्रेताओं के समक्ष भुखमरी की स्थिति, न अनुकंपा है न बिहार में स्टांप की आपूर्ति, संघ अब आर-पार की मूड में, करीब 10 हजार परिवार के समक्ष भुखमरी की होगी स्थिति

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पटना।
बिहार में महागठबंधन की सरकार के लिए आगामी चुनाव एक चैलेंज हो सकता है। क्योंकि एक अधिकारी की मनमानी ने बिहार के 10 हजार परिवार के यानि (50,000) लोगों के सामने भुखमरी की स्थिति पैदा कर दी है। ये लोग बिहार के सभी जिलों में सरकार के द्वारा तैनात स्टांप वेंडर हैं। जिनको मध निषेद और उत्पाद विभाग के पूर्व अधिकारी के के पाठक ने ऐसी स्थिति में लाकर खड़ा कर दिया है। विभाग ने स्टांप विक्रेताओं की अनुकंपा को पूर्व वर्षों में बंद तो किया ही है, अब बिहार में स्टांप की छपाई पर भी रोक लगा दी है। हालांकि सरकार के अधिकारी स्टांप छपाई की बात पर स्कारात्मक और नकारात्मक जवाब नहीं देना चाह रहे हैं।
सरकार रोजगार विरोधी है
इस संबंध में बिहार राज्य मुद्रांक विक्रेता संघ के महासचिव सुनील कुमार ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अधिकारी रोजगार को समाप्त कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के प्यारे अधिकारी के के पाठक ने  स्टांप विक्रेता के पारिवारिक लोगों को सड़क पर ला दिया है। बिहार के कई जिले स्टांप की समस्या से दो चार है, कई जगह लोग स्टांप के लिए दूसरे जिले जा रहे हैं। बावजूद सरकार स्टांप की आपूर्ति को लेकर सजग नहीं है। उन्होंने कहा कि आगामी लड़ाई स्टाम्प विक्रेताओं के परिवार को बचाने की है। जो भी हमसभी को भुखमरी से बचाएगा हम संघ उनके साथ चुनाव में होंग।
 कई जिलों में स्टांप के लिए हाहाकार
गौर करने वाली बात ये है कि इस समय बिहार के कई जिले नन जुडिसियाल (गैर न्यायिक) की समाप्ति की समस्या से दो चार हो रहे हैं। सूबे के कई जिलों में स्टांप के लिए हाहाकार है। हालांकि कि मामले में विभाग के एक अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा कि विभाग के पूर्व अधिकारी के कई संचिकाओं पर विभागीय नजर बनाते हुए उचित निर्णय लिया जा रहा है।
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