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1700 करोड़ जनता की गाढ़ी कमाई थी नीतीश जी, आपकी सरकार ने भ्रष्टाचार की नीव डाली और अगुवानी से भागलपुर गंगा नदी पुल धाराशाही हो गया, जवाब आपको ही देना होगा

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अभिजीत

भ्रष्टाचार देश को दीमक की तरह निचोड़ रहा है। दिल्ली में बैठे केंद्र की सरकार लाख दावे करे लेकिन हिंदुस्तान के सभी सूबे में भ्रष्टाचार और इसके पालनहार अपनी मंसूबे में कामयाब हो रहे हैं। इस समय बिहार में जिस भ्रष्टाचार की नीब पर खड़े पुल के धाराशाही होने की खबर देश में सुर्खियां बटोर रही है, सीधा मतलब है कि बिहार के सुशासन बाबू नीतीश कुमार की सरकार में भ्रष्टाचार कई गुना बढ़ा है। मतलब साफ है कि जिस पूल के लिए हजारों करोड़ व्यय किए गए उसका निर्माण सिर्फ टेबुलों के नीचे हुआ है। अब जब घटना हो चुकी है तो बिहार सरकार का टेंशन में आना लाजमी है। इसी का नतीजा है कि बिहार के डिप्टी सीएम और सीएम नीतीश का बयान हास्यप्रद प्रतीत होता है।
 
1 हजार 700 करोड़ 10 मिनट में नदी में समाया
 
1700 करोड़ की लागत से अगुवानी-सुल्तानगंज के बीच गंगा नदी पर ये पुल बन रहा था। इतनी बड़ी लागत से बन रहा यह पुल महज 10 मिनट के अंदर गंगा में समा गया। पुल के नदी में समाते ही बिहार में एक बार फिर भ्रष्टाचार पर चर्चा होने लगी। बता दें कि यह पुल बिहार के मुखिया नीतीश कुमार का ड्रीम प्रोजेक्ट था।
2014 में नीतीश ने अपने ड्रीम प्रोजेक्ट के रूप में शुरू कराया था निर्माण कार्य
इसका शिलान्यास मुख्यमंत्री नीतीश ने 4 साल पहले 2014 में किया था और अब महज कुछ ही दिन बाद पुल का उद्घाटन भी करने वाले थे। पुल की लंबाई 3,160 किलोमीटर थी। इसका निर्माण कार्य लगभग पूरा हो चुका था। लेकिन रविवार को इस ब्रिज का 10, 11 और 12 नंबर का पाया भरभराकर गिर गया। गौरतलब है कि बीते साल अप्रैल में भी पुल का एक हिस्सा गिर गया था। इसके बाद से ही ब्रिज एक तरफ से झुकना शुरू हो गया था। लेकिन तब भी प्रशासन की नींद नहीं खुली।
उत्तर और दक्षिण बिहार के लिए महत्वपूर्ण था ये पुल
उक्त ब्रिज उत्तर बिहार और दक्षिण बिहार को जोड़ने के लिए बनाया गया था।  लेकिन यह जोड़ने से पहले टूट गया। पुल के टुटते ही सुशासन बाबू के सरकार की पोल भी खुल गई। लोग सवाल पूछ रहे है कि यह कैसा सुशासन है कि लोगों की जिंंदगी से खिलवाड़ हो रही है। अगर यह पुल चालू होता है तो आज कितनी जिंदगियां काल के गाल में समा जाती। 
1700 करोड़ रुपए जनता की गाढ़ी कमाई
पुल को गंगा में समाने में महज 10 मिनट का समा लगा। मगर इस 10 मिनट में ही 1700 करोड़ रुपए पानी में बह गए। यह वो पैसे थे जो लोगों ने मेहनत से कमाए थे और टैक्स के रूप में सरकार को दिया था। जनता के टैक्स के 1700 करोड़ चंद मिनटों में स्वाहा हो गया। अब जनता सवाल पूछ रही है कि इस भ्रष्टाचार पुल के निर्माण के तैयार करने से लेकर गिरने तक के पीछे दोषी कौन है।
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